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खड़े थे और... / भारत यायावर
Kavita Kosh से
मैं खड़ा रहा देर तक
उसके बोलने की प्रतीक्षा करता रहा
पर वह मौन रहा
इस तरह मैं भी मौन रहा
और बरसों मौन रहा
एक ही जगह खड़ा रहा
फिर उसने बोलने की कोशिश की
तो मैंने भी बोलने की कोशिश की
पर हम दोनों बोलना भूल चुके थे
और वहीं के वहीं खड़े थे
खड़े थे और यह भी भूल चुके थे
कि जाना कहाँ है?
(रचनाकाल : 1990)