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खतरा / सरोज कुमार

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इतवार का दिन था
छुट्टी का दिन!
आज पापा से बतियाने
उसकी नन्ही अबोध बच्ची ने
आवाज दी- “......पाऽऽ पाऽऽ ……”
पापा अखबार में खोया था!

इस बार वह नन्ही प्यारी अबोध बच्ची
बोली में मिश्री घोलती हुई बोली:
“..... एऽऽ पाऽऽ पूऽऽ….”
-वह अभी भी नहीं उबरा था।

पास आते हुए
अबकी बार वह निराश
अबोध बच्ची
और और याचना और प्यार से पुकारी:
“.....ओऽऽपाऽऽपीऽऽ…”
इस बार उसने सचमुच सुना,
सुनकर उसे झटका लगा!
वह उठा
और उस अबोध नन्ही को उसने
एक थप्पड़ ठोक दिया!

रोने के साथ-साथ मन ही मन
बच्ची समझ गई, कि
संसार में
ज्यादा प्यार से बोलना
खतरनाक है!