भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खबौनी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नाना कथा-कहानी कहतै
तोता-मैना, नानी कहतै
दादा हमरा साथें रहतै
दादी परी कहानी कहतै।

छुट्टी मेॅ मस्ती तब आबै
पापा जब आलू-चप लाबै
छठ परबों मेॅ मैया सहतै
हमरा, टाभ, खबौनी लहतै।