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ख़त का तेरे, जवाब तुझे दे रहा हूं मैं / दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'

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ख़त का तेरे जवाब तुझे दे रहा हूं मैं ,
ग़ज़लों की इक किताब तुझे दे रहा हूं मैं .
ले करके आये तू जो अगर नींद कहीं से ,
तो फिर हसीन ख़्वाब तुझे दे रहा हूं मैं .
नफ़रत भी तूने दी मुझे तो दी हिसाब से ,
ले प्यार बेहिसाब तुझे दे रहा हूं मैं .
रखना संभालकर इसे अपनी किताब में ,
यादों का इक गुलाब तुझे दे रहा हूं मैं .
करना है ग़म ग़लत तो इसे झूम करके पी ,
उम्मीद की शराब तुझे दे रहा हूं मैं .