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ख़ामुशी से बयान देते हैं / बी. आर. विप्लवी
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ख़ामुशी से बयान देते हैं
दर्द को इक ज़ुबान देते हैं
जब मुअज़्ज़िन अज़ान देते हैं
नेक बन्दे ही ध्यान देते हैं
देख लेना कभी न आएगा
आप ये किसपे जान देते हैं
ये सहूलत के साजो सामां ही
बेज़ुबाँ सी थकान देते हैं