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ख़ाल उसके ने दिल लिया मेरा / शाह हातिम
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ख़ाल उसके ने दिल लिया मेरा
तिल में उसने लहू पिया मेरा
जान बेदर्द को मिला क्यों था
आगे आया मेरे किया मेरा
उसके कूचे में मुझको फिरता देख
रश्क खाती है, आसिया मेरा
नहीं शमा-ओ-चिराग़ की हाजत
दिल है मुझे बज़्म का दिया मेरा
ज़िन्दगी दर्दे-सर हुई ’हातिम’
कब मिलेगा मुझे पिया मेरा?
शब्दार्थ :
ख़ाल = तिल
रश्क = ईर्ष्या
आसिया = चक्की