ख़ाली जगहों को भरने का सवाल / शशिप्रकाश
हाईस्कूल तक जो बच्चे इम्तहानों में
लगातार ख़ाली जगहों को भरने वाले
सवाल हल करते रहे
उन्होंने कविता, स्वप्न, कल्पना और स्मृतियों की
सारी जगहों को प्राणहीन शब्दों से भर दिया
और फिर समूचा जीवन
ठूँठ, रेगिस्तान और मुदर्रिसी के नाम कर दिया I
वाक्यों में, समझ में, चेतना में, जीवन में
हमेशा ही कुछ ख़ाली जगहें होनी चाहिए
अदृश्य रहने वाली चीज़ों के निवास के लिए,
रंगों और स्वप्नों के
लुकाछिपी खेलने के लिए,
समय-समय पर कुछ रहस्यों को
छुपाकर रखने के लिए I
कुछ जगह रहनी ही चाहिए
विनम्र, गुमनाम वनस्पतियों और
विलुप्त हो चुके जीवन के लिए
सन्देह और संगीत के लिए,
चीज़ों को फिर से व्यवस्थित करने के लिए,
अचानक आए किसी आत्मीय को
थोड़ी देर दिल के पास बैठाने के लिए,
या फिर देर रात गए किसी को आमन्त्रित कर देने के लिए
जिसे हृदय ने पुकारा हो और
जिसका आ पाना सम्भव हो I
ख़ाली जगहों के नीम अन्धेरे में
बहुत सारी चीज़ें
ब्रह्माण्ड से आकर इकट्ठा होती रहती हैं
और हम उन्हें खींचकर
रोशनी में लाते रहते हैं I
ख़ाली जगहों को भरने का निर्देश
दुनिया का सबसे अधिक
तानाशाही भरा निर्देश है I
यह अपने आप में एक बड़ा प्रमाण है इस बात का
कि घर से लेकर स्कूल तक,
हमें शिक्षित करने का जो तन्त्र है,
वह मानवीय चीज़ों के ख़िलाफ़ है !