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ख़ास आम / लालित्य ललित

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आम मीठा है
एक खाया
मन को भाया
दो खाए
जी सा आए
तीन खाए
खूब हर्षाए
चार-पांच खाए
भईया बहुत पछताएं
कर ली तौबा-तौबा
हमने आम से
आमोख़ास ने भी आम से
महंगा है आम
जो ना खाए वो पछताएं
जो खा लें वो भी पछताएं