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ख़ुशनसीब था वह / आन्ना स्विरषिन्स्का / सिद्धेश्वर सिंह

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बूढ़ा आदमी
घर से निकल पड़ता है किताबें थामे ।
एक जर्मन सिपाही
छीन लेता है उसकी किताबें
और उछाल देता है कीचड़ में ।

बूढ़ा आदमी समेटता है उन्हें
उसके मुँह पर
मुक्का मारता है सिपाही
लुढ़क जाता है बूढ़ा आदमी
और उसे लतिया कर भाग जाता है सिपाही ।

कीचड़ और खून में
लथपथ लेटा है बूढ़ा आदमी
वह महसूस कर रहा है अपने नीचे
किताबों का स्पन्दन ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह
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यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।