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ख़ुशफ़हमी / चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव

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मैं खुश हूँ कि
कल सिविल लाइंस चौराहे से
जिस गोलू का अपहरण हुआ
वह मेरा बेटा नहीं था

मैं ख़ुश हूँ इसलिए कि
कर्नलगंज थाने में जो औरत
कल बलात्कार की शिकार हुई
वह मेरी पत्नी नहीं थी

ख़ुश हूँ कि कल दंगाइयों ने
सुलेम सराय में जो दुकान लूटी थी
वह दुकान मेरी नहीं थी
ख़ुश हूँ कि
हिंदू हास्टल के सामने कल
जो स्कूटर जला दिया गया था
वह मेरा नहीं था

इसलिए भी कि कल जी०टी० रोड पर
जिस बुढ़िया को ट्रक ने रौंद डाला
वह मेरी माँ नहीं थी
मुझे ख़ुशी इस बात की भी है कि
कल सरोजनी नायडू अस्पताल में
ग़लत इंजेक्शन की वज़ह से
जिस बच्ची ने दम तोड़ दिया
वह मेरी पिंकी नहीं थी

कल से आज तक
ढेर सारी वज़ह थी खुश होने की
बावजूद इसके
मैं कल सारी रात
ठीक से सो नहीं पाया