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ख़्वाब बुनते रहो ज़िन्दगी के लिये / रंजना वर्मा

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ख़्वाब बुनते रहो ज़िन्दगी के लिये।
जिंदगी हो सभी की खुशी के लिये॥

जुगनुओं ने कहा जगमगाओ जरा
मत तड़पते रहो चाँदनी के लिये॥

प्यास सबकी बुझे है नदी कह रही
रोज़ दीपक जले रौशनी के लिये॥

सब स्वयं के लिये अश्रु लेते बहा
एक आँसू गिराओ दुखी के लिये॥

जिंदगी है मिली भूमि से जिस सदा
एक पौधा लगाओ उसी के लिये॥

नफ़रतों की फसल को चलो फूँक दें
हानिकारक है ये आदमी के लिये॥

अब चलो सींच दें प्यार की क्यारियाँ
फूल खिलते रहें ताजगी के लिये॥