भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खिलनमर्ग / रामधारी सिंह "दिनकर"

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह शिखर नगराज का है,
दूर है भूतल, निकट बैकुंठ है।
जोर से मत बोल, नीरवता डरेगी,
स्वर्ग की इस शान्ति में बाधा पड़ेगी।