भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खुट जाएँ / नीलेश रघुवंशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नए साल के आगमन पर पूछा गया सिंघाड़े बेचने वाली से
नए साल के बारे में क्या सोचा है तुमने
सिंघाड़े बेचती स्त्री ने कहा
नए साल में हम खुट जाएँ
खुट जाएँ मतलब...
खुट जाएँ मतलब खुट जाएँ याने हम मर जाएँ
ही ही हा हा ही हा
अरे अरे ए ऐसा नहीं कहते
हँसी ठसक से सिंघाड़े वाली मुश्किल से जबरिया हँसी को रोकती बोली
क्यों खुटने से डरते हो ???
हम तो रोज़ खुटते हैं...

मंगलवार, 5 अप्रैल 2005, भोपाल