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खुल तो गया द्वार / अज्ञेय

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खुल तो गया
द्वार
खुल तो गया!

फट गया शिलित अन्धकार
हुआ ज्योति-सायक पार!
नमस्कार, देवता! नमस्कार!
परस तेरा उदास
मिल तो गया
तार
मिल तो गया।

खुल तो गया
द्वार
खुल तो गया!

नयी दिल्ली, 22 अगस्त, 1979