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खुशबू तुम्हारी / ओम व्यास
Kavita Kosh से
आस्था के पाँव नहीं होते
श्रद्धा कि आँखें नहीं होती,
विश्वाश के पंख नहीं होते,
स्नेह की साँस नहीं होती।
मेरी आस्था चलती है बिना पाँव
मेरे श्रद्धा देखती है बिन आँख
मेरा विश्वाश छूटा है आसमान बिना पंख
मेरा 'स्नेह' जीवित है बिना सांस
सिर्फ तुम्हारी खुशबू के सहारे।