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खूबसूरत बारिश / असंगघोष
Kavita Kosh से
बारिश कभी-कभार
होती है
खूबसूरत
रोज-रोज नहीं होती
याद रहती है वो
जो होती है
कभी-कभार
जिसमें आँखें बंद किए
भीगे हों प्यार से
पानी की बूंदे उतरी हों
सर से रेला बन
आहिस्ता-आहिस्ता
चेहरे पर, और
उतर गई हों
तन को
तर-बतर करती हुईं
उन बूँदों से
हुए हो कभी आलिंगनबद्ध
छलकते हुए जाम की तरह
भुजाओं से छलका हो प्यार
वही तो है खूबसूरत बारिश
और,
ऐसा रोज-रोज
हर बारिश में नहीं होता
इसलिए तो खूबसूरत बारिश
बार-बार नहीं होती
और,
जो बारिश होती है
खूबसूरत
वो हमेशा याद रहती है।