खेल-खेल में मेल / प्रकाश मनु
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल,
खेल-खेल में करवाता यह
कैसे सबका मेल!
कंप्यूटर के नेटवर्क से
शुरू हुआ जो खेल,
अब तो भाई, घर-घर पहुँचा
बन करके ई-मेल।
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल!
मेल जर्मनी से आया, झट
पहुँच गया जापान,
भैया ने ई-मेल किया, अब
पढ़ो लगाकर ध्यान!
चुपके-चुपके हो जाती है
ऐसे ही सब बात,
दिल से दिल को मिला रहा यह
अजब-अनोखा खेल!
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल!
अमरीका से पापा लिखते
अब कैसी तबीयत है?
मम्मी ने झट मेल किया
हाँ, अब तो कुछ राहत है।
दुनिया के कोने-कोने से
लाकर सब संदेश,
एक पिटारे में रख जाता,
जादूगर ई-मेल!
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल!
ऐसा गजब डाकिया, पल में
काटे लाखों चक्कर,
लाख दिलों की बात पहुँचती
बैठा कभी न थककर।
चाल गजब की, ढाल गजब की,
नई-नई-सी राह,
दूत यही है नए जमाने
का प्यारा ई-मेल!
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल!
मेल आई.डी. बतलाओ तो
भेजूँ तुमको मेल,
तुम भी जानो खेल-खेल में
होता कैसा मेल।
तेज हवा से जाती चिट्ठी
बस, ऐसा यह खेल,
नहीं डाकिया कोई ऐसा
जैसा है ई-मेल।
क्या होता ई-मेल, सुनो जी
क्या होता ई-मेल!