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खेल के पहले / वास्को पोपा / सोमदत्त

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ज़ोरान मिस्विच के लिए

कोई मून्दता है एक आँख
झाँकता है अपने भीतर हर कोने में
देखता है ख़ुद को कि कोई कील नहीं, चोर नहीं
अण्डे नहीं कोयल के

कोई मून्द लेता है दूसरी आँख भी
उँकड़ूँ होता है फिर कूद पड़ता है
कूदता है ऊँचे, ऊँचे, ऊँचे
अपनी ऊँचाई के शीर्ष तक

तभी कोई गिरता है अपने ही वज़न से
गिरता जाता है दिनोंऽ लगातार गहर, गहरे, गहरे
तलहटी तक अपने रसातल की

वह जो किरका-किरका नहीं हो जाता
वह जो बचा रहता है समूचा और
        उठकर खड़ा हो जाता है समूचा
वो ही खेलता है !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त