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खेल पुराने कैसे थे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
दादाजी मुझको बतलाओ,
खेल पुराने कैसे थे।
क्या होता था गिल्ली डंडा,
क्या थी आँख मिचोली?
कंचे गोली पिट्ठू क्या थे,
क्या थे हंसी ठिठोली?
छुपन छुपाई गड़ा गेंद में,
लगते कितने पैसे थे?
लेकर चका दौड़ना होगा,
अजब तमाशे जैसा।
आती छाती मार गधे की,
छाती, खेल था कैसा?
घोर-घोर रानी के दादा,
आप मजे क्या लेते थे!
नाम सुने मकरंदो रानी,
जैसे खेल निराले।
हिलीं मिलीं दो बालें आईं,
नाम हंसाने वाले।
अब्बक दब्बक, अटकन चटकन,
बोलो जी क्या होते थे?
गपई समुद्दर लंगड़ी टंगड़ी,
नाम सुने थे मैंने।
खेली, लंगड़ी, मुझे पड़ गए,
पर लेने के देनें।
टांग टूटने से बच पाए,
बस हम जैसे तैसे थे।
बहुत से खेल बुन्देल खंड में खेले जाते थे।