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खोजता है द्वार बन्दी / हरिवंशराय बच्चन

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खोजता है द्वार बन्दी!

भूल इसको जग चुका है,
भूल इसको मग चुका है,
पर तुला है तोड़ने पर तीलियाँ-दीवार बन्दी!
खोजता है द्वार बन्दी!

सीखचे ये क्या हिलेंगे,
हाथ के छाले छिलेंगे,
मानने को पर नहीं तैयार अपनी हार बन्दी!
खोजता है द्वार बन्दी!

तीलियो, अब क्या हँसोगी,
लाज से भू में धँसोगी,
मृत्यु से करने चला है अब प्रणय-अभिसार बन्दी!
खोजता है द्वार बन्दी!