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खोना और पाना / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
धरती से
आकाश तक
इस छोर से
उस छोर तक
तुम ही तुम हो
मैं ही मैं हूं
स्वयं को खो
पाना तुम्हें
और तुम्हें पाते हुए
पा लेना स्वयं को
खोना या पाना नहीं
अद्धभुत है
खोने में पाने
और पाने में खोने के दौर से
गुजरना