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ख्यालों में वल्लाह छाया हुआ है / कविता सिंह
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ख्यालों में वल्लाह छाया हुआ है
तुझे मैंने दिल में बसाया हुआ है
ख़ता क्या कोई हमसे सरज़द हुई अब
सितम तुमने हमपे जो ढाया हुआ है
नज़र ने नज़र से ज़रा गुफ्तगू की
फ़साना सभी ने बनाया हुआ है
अजब दौरे-हाज़िर के शायर हैं यारो
क़लम को भी गिरवी बनाया हुआ है
सताने लगी है मुझे यादे-माज़ी
कि इक आखिरी ख़त बचाया हुआ है।
वतन से नहीं प्यार जिनको ज़रा भी
उन्हें रहनुमा क्यों बनाया हुआ है
सभी एक हैं फिर क्यों दीवारे-मज़हब
सभी को ख़ुदा ने बनाया हुआ है
'वफ़ा' पर कभी आंच आने न देंगे
ये वादा अभी तक निभाया हुआ है