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ख्वाहिशें बेहिसाब होने दो / संजू शब्दिता

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ख्वाहिशें बेहिसाब होने दो
ज़िन्दगी को सराब होने दो

उलझे रहने दो कुछ सवाल,उन्हें
ख़ुद ब ख़ुद ही जवाब होने दो

तुम रहो दरिया की रवानी तक
मेरी हस्ती हुबाब होने दो

जागना खुद ही सीख जाओगे
अपनी आँखों में ख़्वाब होने दो

हार का लुत्फ़ भी उठा लेंगे
इक दफ़ा कामयाब होने दो