भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गठरी / गगन गिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गठरी गठरी गठरी
हर दम सिर में चुभती गठरी

अंतड़ी अंतड़ी अंतड़ी
बाँध अंतड़ियाँ बनाई उसने गठरी

मटका मटका मटका
उसका तैरती का घुल गया मटका

बचड़ी बचड़ी बचड़ी
मिट्टी की हो गई उसकी बचड़ी

उड़ती उड़ती उड़ती
ले गई चील चुरा के आँख उसकी

चुभती चुभती चुभती
एक गाँठ उठा के उसने रख ली

गिरती गिरती गिरती
ये किसके दर पे वह पहुँची गिरती-गिरती

सोई सोई सोई
नीचे सात पाताल जा सोई