भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गरज / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
अहाँक गरज रहइए हमरा
हमर गरज रहइए अहाँकें
अहाँक सुखसँ सुखित भऽ जाइ छी
आ अहाँक दुखसँ दुखित
हमर सुखसँ सुखित भऽ जाइ छी अहाँ
लोलकें जोड़ि दइए
एक-दोसरासँ घेंट
ओकर गरज।