गरम बिछौना / मुकेश कुमार यादव
गरम बिछौना।
नरम बिछौना।
मुश्किल भेलै दिन-रात सोना।
काली रात अमावसवाली।
घर में बैठली खाली-खाली।
करवट बदली।
सपना देखली।
सपना में सच सजना देखली।
रूप सलोना।
रंग सलोना।
लागै चांदी-सोना।
गरम बिछौना
सुबह सुहाना।
शाम विराना।
बुलबुल मीठ्ठो गीत तराना।
मन हरषै छै।
मन चहकै छै।
बहकै खून पसीना।
गरम बिछौना
मन पतझड़ छै।
सुन्दर वन छै।
चंचल शोख हसीना।
गरम बिछौना
पुलकित भेलै।
हुलसित भेलै।
गीत ख़ुशी के दिल जीत लेलै।
ठंडा खाना-पीना।
गरम बिछौना
गरम पकोड़ा।
थोड़ा-थोड़ा।
चटनी मिलै पुदीना।
गरम बिछौना
बात निराली।
दूध मलाई।
सत्तू खाय छै भाई-भाई।
राम दुहाई दै छै भाई।
छर-छर चुवै पसीना।
गरम बिछौना
बेल के शरबत।
आम के शरबत।
सत्तू शरबत पीना।
गरम बिछौना
ताल-तलैया।
सुखै छै भैया।
झरकी जाय छै उजरी गैया।
भेलै जादू-टोना।
गरम बिछौना
हवा गरम छै।
बड़ा भरम छै।
सुखलो धरती, सुखलो करम छै।
करै छै रोना-धोना।
गरम बिछौना।