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गरीब मां की लोरी / कन्हैयालाल मत्त

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सो जा भैया, सो जा बीर!
चाहे हंसता-हंसता सो जा,
चाहे रोता-रोता सो जा,
सो जा लेकर मेरी पीर!
सो जा भैया, सो जा बीर!
जो तू भूखा है, तो सो जा,
जाड़ा लगता है, तो सो जा,
कैसे तुझे बंधाऊं धीर!
सो जा भैया, सो जा बीर!
लाऊं तुझको दूध कहां से?
गद्दे-तकिए मिलें कहां से?
मिलता नहीं फटा भी चीर!
सो जा भैया, सो जा बीर!
भगवान, मेरा दुःख बंटाओ,
जल्दी आकर इसे सुलाओ,
पड़ी द्रौपदी की-सी भीर!
सो जा भैया, सो जा बीर!