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गर्मी / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
जे रङ के ई जेठ छै
धरती मटियामेट छै ।
कुइयाँ छै ई हालोॅ मेॅ
पानी छै पातालोॅ मेॅ ।
झुलसी गेलै लू सेॅ दिन
लू तेॅ लागै छै आगिन ।
धूल जरै छै रुइया रङ
नदी सुखी केॅ सुइया रङ
वोॅन कटैलै जहिया सेॅ
ई गर्मी छै तहिया सेॅ ।
फेनू जे ऐतै बैशाख
धरती होयकेॅ रहतै राख ।