भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गलाई / अज्ञेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाहता हूँ कि मुझे मैं
एक दूसरे साँचे में ढालूँ।
पर भट्ठी तो तुम्हारी है।
इस पुरानी मूर्ति को
गला दोगे?
गलाई क्या लोगे?
-मूर्ति!