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गले से लगाओ मुझे / गरिमा सक्सेना

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प्रश्न-चिह्नों में जीवन विफल मत करो
मान अपना गले से लगाओ मुझे

इस हृदय की शिला पर शिलालेख-सा
हो गया नाम अंकित तुम्हारा पिया
ध्येय तुमको बनाया चले जा रहे
बस तुम्हें पा रुकेंगे, अडिग प्रण किया
अब तुम्हें त्यागना प्राण संभव नहीं
तोड़ बंधन न जग से मिटाओ मुझे

पीर मेरी हरी, प्यार बन छा गए
ज्यों शिशिर की निशा को मिली लालिमा
थी अमित प्यास, मरुथल सदृश थे अधर
तुम मिले तो जगी, प्रेममय-भंगिमा
हर ख़ुशी का समर्पण तुम्हे कर रही
प्रेम को अर्थ दो, मन बसाओ मुझे

मैं नहीं जानती चाह के मंत्र को
पर तुम्ही कृष्ण हो, और मैं राधिका
हैं सभी प्रार्थनाएं समर्पित तुम्हें
हो पिया साध्य तुम, और मैं साधिका
क्या पिया पुण्य है, क्या पिया पाप है
मैं नहीं जानती, मत बताओ मुझे