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गळगचिया (7) / कन्हैया लाल सेठिया
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तांबै रो कळसो माटीरै घड़ै नै कयो - घड़ा थारै में घाल्योड़ो पाणी ठंडो किंया रवै’र म्हारै में घाल्योड़ो तातो किंया हुज्यावै?
घड़ो बोल्यो - मैं पाणी नै म्हारी जीव में जग्यां दयूं हूं’र तूं आंतरै राखै, ओ ही कारण है।