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गा रे गा... / चन्द्रमणि
Kavita Kosh से
गा रे गा कोइलिया एहन गीत गा
हम बेपिरीत तों पिरीत सँ जुरा।।
बहुत दिन भेल, पिया गेल परदेश
मारल उमंग धएल, योगिन के भेष
बेबुझ सजन, किछुओ नजि जानय
हमरा सँ बेसी, नोकरिये के मानय
गाबि-गाबि पिया-मन राग उपजा।। हम.....
भार भेल जीवन, जरलाहा जुआनी
दुनिया के लोभी, नजरियाके फानी
हुलसल पसरि गेल, सगरो बसंत
एहनामे दूर कतौ, रहलैये कंत
झूमि-झूमि प्रीत-रीत-रस बरसा।। हम...
तन-मन बेकल ताकि, रहल पहुक संग
सभक अंत छैक हमर, विरहक ने अन्त
मदिरा पिबैत लोक, जेना भसिआय
मोन मधुआयल, बहकि डेग जाय
हमर मनक भाव जाय पीकें सुना।। हम.....