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गाँव और कविता / कुमार कृष्ण
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गाँव और कविता दोनों का नहीं होता
कोई बीजगणित
उनके होते हैं छोटे- छोटे विश्वास
बड़े-बड़े रिश्तों के ज्वालामुखी
गहरे-गहरे प्यार के पोखर
सपनों की डूँघी-डूँघी बावड़ियाँ
वे हमेशा सोचते हैं-
सूर्यलोक, चन्द्रलोक
स्वर्गलोक, पाताललोक
इन सबमें खूबसरत है पृथ्वीलोक।