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गावे लागे द्वीप / विश्वरंजन

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बात
छन्दो में हो सकेला ओतना माकूल
दावा जेतना के करेला
ऊँच वर्ग के लोग
बकिर, भारी होला
छन्द जगावल मन के भीतर।
कलम बान्हल
छींटा देहल
आ राह देखल अँगड़ाई के
जिनगी जब जागेला
पर्दा हिले लागे जइसे
दूर भविष्य के घरे।
छिछला होके नदी
राह देवे लागेला
द्वीप के।
पनी के पातर चादर से झाँक
कुछ कहे खातिर
आकुल जइसन ऊ।
पीठ पर लाद कास के जंगल
गुन-गुन-गुन-गुन गावे लागेला द्वीप
खरहा के फुदकन में जइसे
जगे लागेला सपना।
एह सुनसान में
झोंपड़ी बान्ह
रात बितावेवाला
साँप-गोजर से दिन-रात जूझेवाला
जानेला
जिनगी के बहेला बयार