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गिरजड़ा / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
गांम रै
बारै बणायोड़ी
हड्डारोड़ी सूं आंवती
बांस सूं
आखतौ हुयोड़ौ मन
खुद सूं ईं
करै सुवाल
कै पैली
मरेड़ा जिनावरां नै
गिरजड़ा खा ज्यांवता
अर
परयावरण नै
राखता बणाए
बरोबर
पण आज
गिरज
कम हुवण लागग्या
कठै गैया गिरज
मनड़ौ द्यै पड़ूत्तर
कै
सगळा राजनीति में
आ ग्या दीसै।