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गीत 7 / पन्द्रहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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नाशवान छै देह, आतमा के अविनाशी मानोॅ
क्षर अरु अक्षर दू प्रकार के पुरुष जगत में जानोॅ।

ई दोनों से परे पुरुष जे
परमेश्वर कहलावै,
तीनोॅ लोकोॅ के धारण
पोषण कर्ता कहलावै,
वहै विलक्षण शक्तिमान छै, तों उनका पहचानोॅ।

जे सर्वेश्वर परमेश्वर छिक
सर्वाधार कहावै,
निर्विकार जे रहै एक रस
चेतन जग उपजावै,
नाशवान जग से अतीत हम, सर्वोत्तम पहचानोॅ।

इहेॅ लेल वेदोॅ में हमरा
पुरुषोत्तम जानै छै,
हमरा नै सर्वज्ञ कभी
अलपज्ञ लोग मानै छै,
हम्हीं नियामक पूर्ण जगत के छेकौं हय पहचानोॅ
नाशवान छै देह, आतमा के अविनाशी मानोॅ।