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गीत की संवेदना / दिनेश सिंह
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वैश्विक फलक पर
गीत की सम्वेदना है अनमनी
तुम लौट जाओ प्यार के संसार से
मायाधनी
यह प्रेम वह व्यवहार है
जो जीत माने हार को
तलवार की भी धार पर
चलना सिखा दे यार को
हो जाए पूरी चेतना
इस पंथ की अनुगामिनी
चितवन यहाँ भाषा
रुधिर में धड़कनों के छंद है
आचार की सब संहिताएँ
मुक्ति की पाबंद है
जीवन-मरण के साथ खेले
चन्द्रमा की चाँदनी
धन-धान्य का वैभव अकिंचन
शक्ति की निस्सारता
जीवन-प्रणेता वही
जो विरहाग्नि में है जारता
इस अगम गति की चाल में
भूचाल की है रागिनी