भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 4

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(84)

हाथ मीञ्जिबो हाथ रह्यो |
लगी न सङ्ग चित्रकूटहुतें, ह्याँ कहा जात बह्यो ||

पति सुरपुर, सिय-राम-लषन बन, मुनिब्रत भरत गह्यो |
हौं रहि घर मसान-पावक ज्यों मरिबोइ मृतक दह्यो ||

मेरोइ हिय कठोर करिबे कहँ बिधि कहुँ कुलिस लह्यो |
तुलसी बन पहुँचाइ फिरी सुत, क्यों कछु परत कह्यो ?||