भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली पद 101 से 110 तक/ पृष्ठ 7
Kavita Kosh से
107
जैसे ललित लषन लाल लोने |
तैसिये ललित उरमिला, परसपर लषत सुलोचन कोने ||
सुखमासार सिगाँरसार करि कनक रचे हैं तिहि सोने |
रुपप्रेम-परमिति न परत कहि, बिथकि रही मति मौने ||
सोभा सील-सनेह सोहावनो, समौ केलिगृह गौने |
देखि तियनिके नयन सफल भये, तुलसीदासहूके होने ||