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गीतावली पद 91 से 100 तक /पृष्ठ 9
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विवाहकी तैयारी
राग सोरठ
मेरे बावक कैसे धौं मग निबहहिंगे?
भूख, पियास ,सीत, श्रम सकुचनि क्यों कौसिकहि कहहिंगे।1।
को भोर ही उबटि अन्हवैहै, काढ़ि कलेऊ दैहैं?
को भूषन पहिराइ निछावरि करि लोचन-सुख लैहै?।2।
नयन निरेषनि ज्यों जोगवैं नित पितु -परिजन-महतारी।
ते पठए ऋषि साथ निसाचर मारन, मख रखवारी।3।
सुंदर सुठि सुकुमार सुकोमल काकपच्छ-धर दोऊ।
तुलसी निरखि हरषि उर लैहौैं बिधि ह्वैहै दिन सोऊ?।4।