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गीर्हऽ / कुंदन अमिताभ

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खोली लेॅ गीर्हऽ
तभिये तरान छौं।
खोलै छहो किताब
तेॅ गीर्हऽ खोलऽ
चलाबै छहो जुबान
तेॅ गीर्हऽ खोलऽ।
खोलऽ हवा
खोलऽ पानी
खोलऽ रौदा
खोलऽ चाँदनी।
खोलऽ सरंग
सब छै तंग
छेड़ऽ जंग।
नै अबेॅ चिढ़ऽ
खोली लेॅ गीर्हऽ।