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गुच्छनि के अवतंस लसै / मतिराम
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गुच्छनि के अवतंस लसै सिशि –पच्छनि अच्छ किरीट बनायो .
पल्लव लाल समेत छरी कर पल्लव -सो ‘मतिराम’ सुहायो .
गुंजनि के उर मंजुल हार निकुंजनि ते कढि बाहिर आयौ .
आजु की रूप लखे ब्रजराज को आजु ही आँखिन को फल पायो .