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गुडमार्निग सूरज / शार्दुला नोगजा
Kavita Kosh से
सुबह उठी तो ये क्या देखा
वान गो की पेंटिंग जैसा
सूर्यमुखी का पीलापन ले
आज निखर आया है सूरज!
शाम लगाई डुबकी जल में
और बादलों से मुँह पोंछा
लाली लगा कमलदल वाली
कितना इतराया है सूरज!
आजा तुझ को मजा चखाऊँ
डुबो चाय में मैं खा जाऊँ
पा कर मेरे प्यार की झप्पी
कितना शरमाया है सूरज!
आज बांध कर चुन्नी में मैं
अमलतास पे लटका दूँगी
रंगोगे क्या जीवन सबके
सुन क्यों घबराया है सूरज!
७ नवम्बर ०८