भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुड़िया-1 / नीरज दइया
Kavita Kosh से
(गुड़िया-1/ नीरज दइया से पुनर्निर्देशित)
जिस गुडिय़ा से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था
उसे दिन-रात चूमना
बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था
अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता!