भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुन-गुन गाना / शकुंतला सिरोठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कू-कू-कू कूके कोयलिया
माओ-माओ करता मोर,
मेरा राजा पलक मूंदता
देखो कोई करे न शोर!
चुपके-चुपके आना निंदिया
फूल गमकते ले आना,
धीरे-धीरे मीठी-मीठी
लोरी गुन-गुन-गुन गाना!