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गूँज / क्रिस्टीना रोजेटी / सुधा तिवारी

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आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
आना सपनों की ख़ुशबयान ख़ामोशी में;
आना मुलायम मांसल गालों के साथ और
आँखें इतनी चमकीली
गोया पानी पर पड़ती धूप;
ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों के
लौट आओ आँसुओं में ।

ओह स्वप्न कितना मधुर, मधुमय,
भावभीनी
जिसकी जागृति है
जन्नत में,
जहाँ प्रेम में आक डूबी रूहें मुन्तज़िर हों मिलने को;
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
देखें धीमे दरवाज़े को
जो खुलें और आगोश में भर लें फिर कभी न लौटाने के लिए ।

फिर आना मेरे सपनों में कि मैं जी सकूँ
मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में:
लौट आओ मेरे सपनों में, कि मैं सौंप सकूँ तुम्हें
धड़कन के लिए धड़कन, सांस के लिए सांस :
धीमे कहो, धीमे झुको,
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
              Echo
     Christina Rossetti

Come to me in the silence of the night;
   Come in the speaking silence of a dream;
   Come with soft rounded cheeks and eyes as bright
      As sunlight on a stream;
            Come back in tears,
            O memory, hope, love of finished years.

Oh dream how sweet, too sweet, too bitter sweet,
   Whose wakening should have been in Paradise,
   Where souls brimfull of love abide and meet;
      Where thirsting longing eyes
            Watch the slow door
            That opening, letting in, lets out no more.

Yet come to me in dreams, that I may live
   My very life again tho’ cold in death:
   Come back to me in dreams, that I may give
      Pulse for pulse, breath for breath:
            Speak low, lean low,
            As long ago, my love, how long ago.