भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गेठरिया / आर० इशरी 'अरशद'
Kavita Kosh से
वांथल गेठरिया राखल हो
पिया चलनी के बेला
सगरा से बदरा उठल हो
पिया चलनी के बेला
रिम-झिम बरखा बरसल हो
पिया चलनी के बेला
गंगा मइया अंचुरा पसारल हो
पिया चलनी के बेला
ओही गंगा सागर समाइल हो
पिया चलनी के बेला