भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गेल प्रकाश कतए, बाजू ! / मार्कण्डेय प्रवासी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
कतए गेल आह्लाद,
गेल विश्वास कतए बाजू !
कतए गेल गार्हस्थ,
गेल संन्यास कतए, बाजू !!

सगरो अन्धकार अछि,
सगरो अविश्वास पसरल,
सुपथ त्यागि भटकल-
चलि गेल प्रकाश कतए, बाजू !

बिसराएल अछि देश,
समाजो सिराएल,
स्वार्थक घर उपकारक अछि-
अभ्यास कतए, बाजू !

जतए-जतए कुर्सी अछि,
तत्तहि घपला अछि,
गेल सुपरिवर्तनक हेतु-
अछि न्यास कतए, बाजू !
जनतन्त्रक हलधर-
हँफैत छथि राति-दिवस,
फसिल गेल अछि कतए,
गेल अछि चास कतए, बाजू !
सभटा सपना-
ध्वस्त भेल अछि प्रवासी,
सेवा-निष्ठा केर गेल
आकाश कतए, बाजू !