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गोहार / नवीन ठाकुर 'संधि'
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देखोॅ धरती होलै बीरान,
आवेॅ तोहें जागोॅ किसान
जैठ मास तबी गेलै,
केला, केतारी कुरथी मरी गेलै
करेॅ तोहेॅ एकरोॅ तजबीज
जे बचलोॅ-बचावोॅ बीज
छोड़ेॅ तोहें आपनोॅ विधान
देखोॅ धरती होलै बीरान,
जीव जंतु करेॅ गोहार,
जागोॅ किसान लंगोटिया यार।
वर्शा मास एैलेॅ अखार,
रिमझिम-रिमझिम झर-झर फुहार।
तोरेह पर छौं ‘‘संधि’’ के निदान,
देखोॅ धरती होलै बीरान,
आवें...