घटनाक्रमक वर्णन / भाग 6 / रमापति चौधरी
जखनहि सुनलहुँ अश्व पाण्डवक अशोथकित भयगेले
एकसर अर्जुन उतरि ठाढ़ भय महापराक्रम कयले
रोकि सकल योद्धाकेँ रण मे, सुनलहुँ संजय जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥61॥
जखनहि सुनलहुँ दुर्ज्जय सैन्य साजल द्रोणक हाथे
हस्ति सैन्य जहँ भेदि न सकले सात्यकि कयलनि काते
कृष्णार्जुन तक छेदि सैन्यकेँ सात्यकि पहुंचल जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥62॥
जखनहि सुनलहुँ जयद्रथकें क्यो रक्षा नहि कय सकला
द्रोण धनुर्धर द्रौणि महाबलि शल्यराज सब थकला
कर्ण कृपादिक कृतवर्मा पुनि देखतहि रहला जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥63॥
जखनहि सुनलहुँ युद्ध अनीतिक द्रोणक ऊपर भेले
पुत्र मरण कहि धोखा दयकेँ शोकाकुल कय देले
धृष्ट्द्युम्न वाणलय बीचहि मारल द्रोणहि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥64॥
जखनहि सुनलहुँ पितुबधकारण द्रौणि विकल भय गेले
पाण्डवनाश हेतु “नारायण अस्त्र”क धारण कयले
कृष्णक उक्ति विफल भय शर सँ बचला पाण्डव जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥65॥
जखनहि सुनलहुँ कवचक बदला इन्द्र कर्ण केँ देलनि
दिव्य अस्त्र अद्भुत बलशाली अर्जुन वधहित लेलनि
माया प्रेरित भीमक सुत पर छोड़ल तकरो जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥66॥
जखनहि सुनलहुँ द्रौणि दुःशासन कृतवर्मा अति शूरे
तीन महाबलि ठठि नहि सकला रहला विजित अधूरे
एक युधिष्ठिर तनि परास्तकय विजयी भेला जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥67॥
जखनहि सुनलहुँ वायुकनन्दन कर्णक चंगुल फँसले
पूर्ववचनकेँ राखि ध्यानमहँ मरल भीमकेँ तजले
केवल धनुषक नोक भोंकि केँ छोड़ल रविसुत जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥68॥
जखनहि सुनलहुँ द्रौणिवीर समबड़बड़ वीरक संगे
माद्रीनन्दन नकुस अकेले कयलनि सबकेँ तंगे
नकुलक साहस शौर्यवीर्यकेँ सुनलहुँ संजय जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥69॥
जखनहि सुनलहुँ द्रोणपुत्र ओ शूरवीर दुःशासन
महाबली योद्धा कृतवर्मा कृपाचार्य योद्धासन
धर्मराज युधिष्ठर तनिकहु जीति रहल छथि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥70॥